अक्षय तृतीया की कहानी भगवान श्री कृष्णा से जुड़ा हे। माना जाता हे की एक अक्षय तृतीया के दिन नॉर्दन दोस्त कुचेला ने श्री कृष्णा को मिलने आया। भक्ति की भाव से कुचला ने दिया श्री कृष्णा को पोहा और बदले में कृष्णा ने दिया अपना सरे दान और दौलत।
अक्षय तृतीया से जुड़े अन्य कथाएं
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अक्षय तृतीया और धर्मदास वैश्य
अक्षय तृतीया
को लेकर वैसे
तो कई कथाएं
प्रचलित हैं। ऐसी
ही एक कथा
के अनुसार प्राचीन
काल में धर्मदास
नामक वैश्य था।
उसकी सदाचार, देव
और ब्राह्मणों के
प्रति काफी श्रद्धा
थी। इस व्रत
का महत्व सुनकर
उसने भी अक्षय
तृतीया के दिन
गंगा में स्नान
करके देवी-देवताओं
की पूजा की।
बीमार और वृद्ध
होने के बाद
भी उपवास कर
धर्म-कर्म और
दान पुण्य किया।
बाद में यही
वैश्य दूसरे जन्म
में कुशावती का
राजा बना। कहते
हैं कि अक्षय
तृतीया के दिन
किए गए दान
व पूजन के
कारण वह बहुत
धनी प्रतापी बना।
वह इतना धनी
और प्रतापी राजा
था कि त्रिदेव
तक उसके दरबार
में अक्षय तृतीया
के दिन ब्राह्मण
का वेष धारण
करके उसके महायज्ञ
में शामिल होते
थे।
माना जाता
है कि यही
राजा आगे चलकर
राजा चंद्रगुप्त के
रूप में पैदा
हुआ।