अक्षय तृतीया और कुबेर
अक्षय तृतीया के दिन माना जाता है कि धन के देवता कुबेर ने मां लक्ष्मी को प्रसन्न किया था और उनकी आराधना से उन्हें बहुत सारे धन भी मिला था।
अक्षय तृतीया के दिन माना जाता है कि धन के देवता कुबेर ने मां लक्ष्मी को प्रसन्न किया था और उनकी आराधना से उन्हें बहुत सारे धन भी मिला था।
तभी
से इस दिन
सोना खरीदकर मां
लक्ष्मी की विशेष
पूजा आराधना की
जाती है।
अक्षय तृतीया का महत्व
अक्षय तृतीया दिन का मुहूर्त इतना अच्छा माना जाता है कि सभी ग्रहों इस दिन अच्छे
होते हैं और जिन युवा -युवतियों का विवाह न हो रहा हो अक्षय तृतीया के दिन
बिना कुछ देखें उनका विवाह कर दिया जाता है।
अक्षय तृतीया का सर्व
सिद्ध मुहूर्त के रूप में विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन बिना
पंचांग देखे कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह-प्रवेश,
वस्त्र-आभूषणों की खरीददारी, घर, भूखंड, वाहन आदि की खरीददारी की जा सकती
है।
इस दिन नवीन वस्त्र, आभूषण
धारण करने और नई संस्था, समाज आदि की स्थापना या उद्घाटन श्रेष्ठ माना
जाता है। कहते हैं कि इस दिन किया गया जप, तप, हवन, स्वाध्याय और दान भी
अक्षय हो जाता है।
भविष्य
पुराण
के
अनुसार
इस
तिथि
की
युगादि
तिथियों
में
गणना
होती
है,
सतयुग
और
त्रेता
युग
का
प्रारंभ
इसी
तिथि
से
हुआ
है।