शनि महामंत्र शनि देव को समर्पित हे। इस मंत्र का जप करने से शनि देव का प्रकोप शांत होगा। शनि देव स्थायित्व के कारक माने गए हैं।
इस मंत्र का जप सुबह और श्याम १० ८ बार - ११ दिन केलिए करना चाहिये।
उड़द, तिल, गुड़ से बने पकवान का प्रसाद चढ़ाना महत्व पूर्ण हे।
शनि महामंत्र
शनि देव का अभिषेक पंचामृत से करें। हवन के लिए घर के आंगन में यज्ञ कुण्ड बनाएं अथवा किसी लोहे या तांबे के पात्र में आम की लकड़ियां, गोबर के कण्डे जलाकर तिल, शक्कर, घी, चावल मिलाकर 108 बार शनि महामंत्र का उच्चारण करें और आहुति दें।
इस मंत्र का जप सुबह और श्याम १० ८ बार - ११ दिन केलिए करना चाहिये।
उड़द, तिल, गुड़ से बने पकवान का प्रसाद चढ़ाना महत्व पूर्ण हे।
शनि महामंत्र
ऊँ नीलांजन समाभासं रवि पुत्रं यमाग्रजम्। छाया मार्तण्ड सम्भूतं तम् नमामि शनैश्चरम्।।शनि महामंत्र और हवन
शनि देव का अभिषेक पंचामृत से करें। हवन के लिए घर के आंगन में यज्ञ कुण्ड बनाएं अथवा किसी लोहे या तांबे के पात्र में आम की लकड़ियां, गोबर के कण्डे जलाकर तिल, शक्कर, घी, चावल मिलाकर 108 बार शनि महामंत्र का उच्चारण करें और आहुति दें।