हिन्दू धर्म में होलाष्टक फाल्गुन अष्टमी को शुरू हो के फाल्गुन पूर्णिमा को समाप्त होता है। होलाष्टक का महत्व शिवा और तांत्रिक पूजा से जुड़ा हे। होलाष्टक की अवधी में समस्त मांगलिक कार्य निषेध बताऐ गए हैं।
शास्त्रों में होलिका दहन के महत्वपूर्ण दिन को दारुण रात्रि कहा गया है। दारुण रात्रि की तुलना महारात्रि अर्थात महाशिवरात्रि, मोहरात्रि अर्थात कृष्णजन्माष्टमी, महानिशा अर्थात दिवाली से की जा सकती है।
शास्त्रों में होलिका दहन के महत्वपूर्ण दिन को दारुण रात्रि कहा गया है। दारुण रात्रि की तुलना महारात्रि अर्थात महाशिवरात्रि, मोहरात्रि अर्थात कृष्णजन्माष्टमी, महानिशा अर्थात दिवाली से की जा सकती है।
होलाष्टक का कथा
पौराणिक कथा के अनुसार कामदेव द्वारा भगवान शंकर की तपस्या भंग करने पर महादेव ने फाल्गुन अष्टमी पर ही उन्हें भस्म कर दिया था। तब रति देवी ने कामदेव के पुर्नजीवन हेतु कठिन तप किया फलस्वरुप शिव जी ने इसी पूर्णिमा पर कामदेव को नया जीवन दिया तब सम्पूर्ण सृष्टि में आनन्द मनाया गया।ज्योतिषशास्त्र में होलाष्टक
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार होलिकाष्टक का काल होली से पहले अष्टमी तिथि से प्रारंभ होता है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से होली समस्त काम्य अनुष्ठानों हेतु श्रेष्ठ है। अष्टमी तिथि को चंद्र, नवमी तिथि को सूर्य, दशमी तिथि को शनि, एकादशी तिथि को शुक्र, द्वादशी तिथि को गुरू, त्रयोदशी तिथि को बुध, चतुर्दशी को मंगल व पूर्णीमा तिथि को राहु उग्र हो जाते हैं, जो व्यक्ति के शारिरीक व मानसिक क्षमता को प्रभावित करते हैं साथ ही निर्णय व कार्य क्षमता को कमजोर करते हैं।होलाष्टक और तांत्रिक पूजा
होलाष्टक की समयावधि को तांत्रिक सिद्ध मानते हैं। तंत्रसार अनुसार इन दिनों में तंत्र व मंत्र की साधना पूर्ण फल देने वाली है।
होलिकादहन से पूर्व की पूर्णिमा को प्रात: से रात्रि 12 बजे तक तांत्रिक
विभिन्न प्रकार के तंत्र-मंत्रों को सिद्ध करने का कार्य करते हैं।
तांत्रिक प्रक्रिया में वनस्पति संबंधित सामग्री का उपयोग पर उतारा आदि
करते हैं।
तंत्रसार अनुसार होलिकादहन की रात्री पर श्मशान की राख को
अनिष्टकारी कार्यों के लिए उपयुक्त माना जाता है।
मान्यतानुसार होलिका दहन
के समय उसकी उठती हुई लौ की दिशा से कई संकेत मिलते हैं। पूर्व की ओर लौ
उठना कल्याणकारी होता है, दक्षिण की ओर लौ उठना पशु पीड़ा देता है, पश्चिम
की ओर लौ उठना सामान्य व उत्तर की ओर लौ उठने से बारिश होने की संभावना
रहती है।