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बुधवार व्रत कथा


बुधवार का दिन भगवान गणेश का व्रत रखने से भगवान बहुत खुश होते हैं। बुधवार के व्रत की कथा सुनने से  सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। इसके अलावा किसी यात्रा का दोष नहीं लगता है। 

बुधवार व्रत कथा 

एक पति अपनी पत्नी को लेने के लिए ससुराल गया। कुछ दिन अपने ससुराल में रूकने के बाद पति ने अपने सास-ससुर से अपनी पत्नी को विदा करने को कहा। 

सास-ससुर ने कहा कि आज बुधवार है और इस दिन हम गमन नहीं करते हैं।

बेटी की पति ने उनकी बात को मानने से साफ़ इंकार कर दिया। 

आखिरकार सास-ससुर को अपने दामाद की बात माननी पड़ी और अपनी बेटी को साथ भेज दिया। 

रास्ते में जंगल था, जहां पत्नी को प्यास लग गई। 

पति ने अपना रथ रोका और जंगल से पानी लाने केलिए चला गया। 

थोड़ी देर बाद जब वो वापस अपनी पत्नी के पास लौटा तो देखकर हैरान हो गया कि बिल्कुल उसी के जैसा व्यक्ति उसकी पत्नी के पास रथ में बैठा था।

ये देखकर उसे गुस्सा आ गया और कहा कि कौन है तुम मेरी पत्नी के पास क्यों बैठा है। 

हमशकल व्यक्ति ने कहा कि मैं अपनी पत्नी के पास बैठा हूं। मैं इसे अभी अपने ससुराल से लेकर आया हूं। 

अब दोनों व्यक्ति झगड़ा करने लगे।

इस झगड़े को देखकर राज्य के सिपाहियों ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया।

इसके बाद दोनों पति-पत्नि नियमानुसार भगवान बुध की पूजा करने लग गए। 

यह सब देखकर असली पति बहुत निराश हुआ और कहा कि हे भगवान, ये कैसा इंसाफ है, जो सच्चा है वो झूठा बन गया है और जो झूठा है वो सच्चा बन गया है। 

जैसे ही उसने ये शब्द कहे वैसे ही आकाशवाणी हुई कि हे मूर्ख आज बुधवार है और इस दिन गमन नहीं करते हैं। तू ने किसी की बात नहीं मानी और इस दिन पत्नी को ले आया। 

ये बात सुनकर उसे समझ में आ गया कि उसने गलती कर दी। 

इसके बाद उसने बुधदेव से प्रार्थना की कि उसे क्षमा कर दें।