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नैऋत्य कोण के दोष - नैऋत्य कोण क्या है - वास्तु शास्त्र में नैऋत्य कोण का महत्तव

नैऋत्य कोण के दोष 

नैऋत्य कोण में पूजा का स्थान होने से घर के लोगों को पेट संबंधी कष्ट होता है। साथ ही वे अत्यधिक लालची स्वभाव के होते हैं। 

नैऋत्य कोण दिशा नीची, गहरी, कुआं, गड्ढे होना, वास्तु की दृष्टि से सबसे बड़ा दोष है। 

कारोबार की बाधाएं दूर करने के लिए तुलसी के पौधे को नैऋत्य कोण में रखकर हर शुक्रवार को कच्चा दूध चढ़ाएं।

नैऋत्य कोण क्या है 

वास्तु शास्त्र में दक्षिण-पश्चिम को नैऋत्य कोण कहता है। 

इस दिशा का स्वामी राहु ग्रह है।

वास्तु शास्त्र में नैऋत्य कोण का महत्तव 

नैऋत्य कोण यानी दक्षिण पश्चिम में टॉयलेट-बाथरूम है तो पूर्वी दीवार पर एक वर्गाकार दर्पण लगाएं इससे वास्तु दोष दूर होगा।

छत पर टैंकों दक्षिण-पश्चिम दिशा (नैऋत्य कोण) में हो लेकिन सैप्टिक टैंक, भूमिगत नाली अथवा गड्ढा न हो।

 जगह की ढलान उत्तर अथवा पूर्व दिशा में हो तथा मकान के चारों ओर घेराव की दीवार में पश्चिम दक्षिण दिशा की दीवार मोटी व ऊंची होनी चाहिए।

मकान के दक्षिण-पश्चिम भाग (नैऋत्य कोण) में भारी सामान रखने तथा छत पर निर्माण कार्य करवा कर उसे भवन का सबसे ऊंचा भाग बनाने से भी वास्तु दोष प्रभावहीन होने लगते हैं। 

दक्षिण-पश्चिम कोण पर जो दरवाजे या खिड़कियां सृजनात्मक दिशाओं में नहीं हैं, उन्हें बंद रखने अथवा कम उपयोग में लाने से भी वास्तु दोषों का दुष्प्रभाव कम होने लगता है।

यदि किसी मकान के नैऋत्य कोण में कुआं है, तो पहले उस कुएं का पानी ईशान कोण में बनाई गई टंकी में डालकर, फिर पीने वाले शुद्ध पानी का इस्तेमाल करना चाहिए।