नवरात्री कलश स्थापना विधि
- प्रात:काल स्नान करें, लाल परिधान धारण करें।
- घर के स्वच्छ स्थान - उत्तर पूर्व या पूर्व दिशा पर मिट्टी से वेदी बनाएं।
- कलश स्थापना करते समाया "ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे" मंत्र का जप करते रहे।
- पूजा करते समय आप अपना मुंह सूर्योदय की ओर रखें।
- वेदी में जौ और गेहूं दोनों बीज दें।
- एक मिट्टी या किसी धातु के कलश पर रोली से स्वस्तिक का चिन्ह बनाएं।
- कलश पर मौली लपेटें।
- फर्श पर अष्टदल कमल बनाएं।
- उस पर कलश स्थापित करें।
- कलश में गंगा जल, चंदन, दूर्वा, पंचामृत, सुपारी, साबुत हल्दी, कुशा, रोली, तिल, चांदी डालें। कलश के मुंह पर 7 आम के पत्ते रखें।
- उस पर चावल या जौ से भरा कोई पात्र रख दें।
- एक पानी वाले नारियल पर लाल चुनरी या वस्त्र बांध कर लकड़ी की चौकी या मिट्टी की वेदी पर स्थापित कर दें।
- नारियल का मुख सदा साधक की ओर होना चाहिए।
- इसके बाद गणेश जी का पूजन करें।
- देसी घी का अखंड दीपक जलाएं। इस दीपक को नौ दिन रखना चाहिए।
- वेदी पर लाल या पीला कपड़ा बिछा कर देवी की प्रतिमा या चित्र रखें।
- आसन पर बैठ कर तीन बार आचमन करें।
- हाथ में चावल व पुष्प लेकर माता का ध्यान करें और मूर्ति या चित्र पर समर्पित करें।
- इसके अलावा दूध, शक्कर, पंचामृत, वस्त्र, माला, नैवेद्य, पान का पत्ता आदि चढ़ाएं।
- देवी की आरती करके प्रसाद बांटें और फलाहार करें।
नवरात्री मंत्र
हर दिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
सभी पूजा "ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे" मंत्र से करें।