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कुशा का महत्व

कुशा घास का महत्व हिन्दू धर्म में  - 
  1. कुशा से जुड़ी धार्मिक कथाओं के अनुसार कुशा की उत्पत्ति पालनहार श्री हरि विष्णु जी के रोम से हुई थी। 
  2. मान्यताओं की मानें  तो जब भी कुश के आसन पर बैठकर पूजा-पाठ या ध्यान किया जाता हैं तब शरीर से सकारात्मक ऊर्जाएं लगातार निकलती रहती है।
  3. कुशा का मूल ब्रह्मा, मध्य विष्णु जी को तथा अग्रभाव शिव जी को माना जाता है।
  4. कुशा में तीनों देव यानि त्रिदेव मौज़ूद हैं।
  5. ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि प्रत्येक धार्मिक अनुष्ठान आदि में इसका प्रयोग किया जाना अनिवार्य होता है। 
  6. बल्कि ये भी बताया जाता है तुलसी की तरह कुशा भी कभी बासी नहीं होती। इसलिए एक बार उपयोग की गई गई कुशा का बार-बार इस्तेमाल किया जा सकता है। 
  7. धार्मिक अनुष्ठान को करते समय कुशा को अंगूठी के रूप में हथेली की अनामिका अंगुठी में धारण किया जाता है।
  8. अंगुठी के अलावा इसकी मदद से पवित्र जल का छिड़काव भी किया जाता है। 
  9. कहा जाता है कि कुशा मानसिक और शारीरिक दोनों की शुद्धता के लिए ज़रूरी होती है। 
  10. ग्रहण से पहले ही तमाम खाने-पीने की चीजों में कुश डाल कर रख दिया जाता है। ताकि खाने की चीज़ों की पवित्रता बनी रही। तथा उसमें किसी भी तरह के कीटाणु प्रवेश न कर सकें।