हनुमान बाहुक पाठ निरंतर जाप से व्यक्ति की हर तरह की परेशानी से छुटकारा पाया जा सकता है। हनुमान बाहुक पाठ हिंदी बाल समय रवि भक्षि लियो , तब तीनहुं लोक भयो अंधियारो। ताहि सों त्रास भयो जग को , यह संकट काहु सों जात न टारो। 1 । देवन आनि करी विनती तब , छांड़ि दियो रवि कष्ट निवारो। को नहिं जानत है जग में , कपि संकटमोचन नाम तिहारो। 2 । बालि की त्रास कपीस बसै गिरि , जात महाप्रभु पंथ निहारौ। चौंकि महामुनि शाप दियो तब , चाहिए कौन विचार विचारो। 3 । कै द्विज रूप लिवाय महाप्रभु , सो तुम दास के शोक निवारो। को नहिं जानत है जग में , कपि संकटमोचन नाम तिहारो। 4 । अंगद के संग लेन गये सिय , खोज कपीस ये बैन उचारो। जीवत ना बचिहों हमसों , जु बिना सुधि लाये यहां पगुधारो। 5 । हेरि थके तट सिन्धु सबै तब , लाय सिया , सुधि प्राण उबारो। को नहिं जानत है जग में , कपि संकटमोचन नाम तिहारो। 6 । रावन त्रास दई सिय की , सब राक्षसि सों कहि शोक निवारो। ताहि समय हनुमान