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Showing posts from April, 2017

सफल व कुशल यात्रा के लिए मंत्र

ये मंत्र आप को रामचरितमानस में मिल जायेगा. यात्रा शुरू करने से पहले और यात्रा के दौरान ये मंत्र पड़ना चाहिए।  इससे सफल और कुशल यात्रा की संभावना हे। मंत्र पढ़िए : पहला मंत्र  प्रबिसि नगर कीजै सब काजा। हृदयं राखि कोसलपुर राजा।। दूसरा मंत्र  दीन दयाल बिरिदु संभारी। हरहु नाथ मम संकट भारी।। इनमें से आप को जो आसान  लगे उस मंत्र का इस्तेमाल करें।  

नौकरी पाने के लिए मंत्र

निचे दिए हुए मंत्र रामचरितमानस से हे और इसे नौकरी पाने के लिए आदिक लाभ दायक हे।  बिस्व भरण पोषण कर जोई। ताकर नाम भरत जस होई।। धन-दौलत, सम्पत्ति पाने के लिए जे सकाम नर सुनहि जे गावहि। सुख सम्पत्ति नाना विधि पावहि।। भक्ति भावना बढ़ाने के लिए  सीताराम चरन रति मोरे। अनुदिन बढ़उ अनुग्रह तोरे।।

नजर उतारने केलिए मंत्र

नजर उतारने के लिए जो मंत्र  निचे दिए हुए हे।  इस मंत्र रामचरितमानस से लिया हे।   स्याम गौर सुंदर दोउ जोरी। निरखहि छवि जननी तृन तोरी।। हनुमान जी की कृपा के लिए सुमिरि पवनसुत पावन नामू। अपने बस करि राखे रामू।।

महालक्ष्मी मंत्र

महालक्ष्मी मंत्र देवी लक्ष्मी को समर्पित हे।  इस मंत्र का जप करने से धन की प्राप्ति होता हे।  धन प्राप्ति केलिए इस मंत्र के साथ साथ महालक्ष्मी की चित्र पर कमल गट्टे चढ़ाएं। लक्ष्मी को खीर की भोग देना चाहिए। इस मंत्र का जप सुबह और श्याम १० ८ बार -  ११ दिन केलिए करना चाहिये। महालक्ष्मी मंत्र ऊँ श्रीं ह्यीं कमले कमलालये प्रसीद श्रीं ह्यीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मये नम:।

शनि महामंत्र

शनि महामंत्र शनि देव को समर्पित हे।  इस मंत्र का जप करने से शनि देव का प्रकोप शांत होगा।  शनि देव स्थायित्व के कारक माने गए हैं। इस मंत्र का जप सुबह और श्याम १० ८ बार -  ११ दिन केलिए करना चाहिये। उड़द, तिल, गुड़ से बने पकवान का प्रसाद चढ़ाना महत्व पूर्ण हे। शनि महामंत्र ऊँ नीलांजन समाभासं रवि पुत्रं यमाग्रजम्। छाया मार्तण्ड सम्भूतं तम् नमामि शनैश्चरम्।। शनि महामंत्र और हवन  शनि देव का अभिषेक पंचामृत से करें। हवन के लिए घर के आंगन में यज्ञ कुण्ड बनाएं अथवा किसी लोहे या तांबे के पात्र में आम की लकड़ियां, गोबर के कण्डे जलाकर तिल, शक्कर, घी, चावल मिलाकर 108 बार शनि महामंत्र का उच्चारण करें और आहुति दें। 

अक्षय तृतीया पूजा

अक्षय तृतीया के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर समुद्र, गंगा या अन्य पुण्य नदी या तीर्थ में स्नान करें। इसके बाद भगवान गणेश, विष्णु , कुबेर और लक्ष्मी की  विधि विधान से पूजा करें। नैवेद्य में जौ या गेहूं का सत्तू, ककड़ी और चने की दाल अर्पित करें। इसके बाद फल, फूल, बरतन, तथा वस्त्र आदि गरीब लोगों को  दान करे । इस दिन लक्ष्मी नारायण की पूजा सफेद कमल अथवा सफेद गुलाब या पीले गुलाब से करें।

राशि और रंग - कोनसे राशि को कोनसा रंग लाता हे भाग्य

राशि के अनुसार रंगों का चयन करने से अपने स्वामी ग्रह को अपने अनुकूल किया जा सकता है। जिससे जीवन में सफलता के क्षितिज छुए जा सकते हैं। रंगों का प्रभाव हमारे ग्रहों पर भी पड़ता है और उससे हमारे दैनिक कार्य प्रभावित होते हैं। सही रंग का चुनाव करें तो हम निश्चित तौर पर अच् ‍ छे फल प्राप् ‍ त कर सकते हैं।  मेष   राशि का रंग  मेष राशि के जातको के लिए लाल , सफेद , गुलाबी तथा हल्का पीला रंग शुभ होता है। वृषभ   राशि का रंग  वृषभ राशि के जातको के लिए सफेद , हरा तथा काला रंग शुभ होता है। मिथुन   राशि का रंग  मिथुन राशि के जातको के लिए हरा एवं सफेद रंग शुभ होता है। कर्क   राशि  का रंग  कर्क राशि के जातको के लिए सफेद , पीला , लाल रंग शुभ होता है। सिंह   राशि  का रंग  सिंह   राशि के जातको के लिए लाल , गुलाबी , हल्का पीला रंग शुभ होता है। कन्या   राशि  का रंग  कन्या   राशि के जातको के लिए हरा एवं सफेद रंग शुभ होता है। तुला   राशि  का रंग  तुल

अक्षय तृतीया का महत्व

अक्षय तृतीया और कुबेर  अक्षय तृतीया के दिन माना जाता है कि धन के देवता कुबेर ने मां लक्ष्मी को प्रसन्न किया था और उनकी आराधना से उन्हें बहुत   सारे  धन भी मिला था।   तभी से इस दिन सोना खरीदकर मां लक्ष्मी की विशेष पूजा आराधना की जाती है। अक्षय तृतीया का महत्व अक्षय   तृतीया  दिन का मुहूर्त इतना अच्छा माना जाता है कि सभी ग्रहों इस दिन अच्छे होते हैं और जिन युवा -युवतियों का विवाह न हो रहा हो अक्षय तृतीया के दिन बिना कुछ देखें उनका विवाह कर दिया जाता है। अक्षय तृतीया का सर्व सिद्ध मुहूर्त के रूप में विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन बिना पंचांग देखे कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह-प्रवेश, वस्त्र-आभूषणों की खरीददारी, घर, भूखंड, वाहन आदि की खरीददारी की जा सकती है। इस दिन नवीन वस्त्र, आभूषण धारण करने और नई संस्था, समाज आदि की स्थापना या उद्घाटन श्रेष्ठ माना जाता है। कहते हैं कि इस दिन किया गया जप, तप, हवन, स्वाध्याय और दान भी अक्षय हो जाता है। भविष्य पुराण के अनुसार इस तिथि की युगादि तिथियों में

कुंडली में शनि दोष की समस्या दूर करे हनुमान की पूजा से

सिर्फ हनुमानजी को याद करने से ही शांति   मिलती   हे।   हनुमान पूजा कुंडली में शनि की समस्या दूर करते हे। शनिवार को हनुमान मंदिर में पूजा करने से शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती हे।   यदि कुंडली में शनि दोष हे और   शनि कोई समस्या खड़ी करते हैं और सभी पूजा - पाठ के बाद कोई समाधान नहीं निकलता तो    शनिवार को हनुमान को चोला चढ़ाए।   इसके साथ ही सिंदूर और चमेली का तेल चढ़कार हनुमान चालीसा या हनुमान जी के अन्य मंत्रों का जाप करें।   तिल के तेल का दीपक जलाएं।   काले चने और गुड़ के साथ नारियल चढ़ाना अत्यंद लाभदायक हे।   शनि बाधा से बचने के लिए हनुमान के 108 नामों का स्मरण करें।   

आमलकी एकादशी का महत्व - आमलकी एकादशी व्रत कथा

जो मनुष्य आमलकी एकादशी व्रत का पालन करते हैं वह निश्चित ही विष्णुलोक की प्राप्ति कर लेते हैं। आमलकी एकादशी का महत्व ब्रह्माण्ड पुराण में मान्धाता अौर वशिष्ठ संवाद में पाया हे। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष को ये व्रत का पालन करता हे। व्रत का  पालन करने से वास्तविक कल्याण की प्राप्ति होता हे।ये व्रत समस्त प्रकार के मंगल को देने वाली है। यह व्रत बड़े से बड़े पापों का नाश करने वाला, एक हजार गाय दान के पुण्य का फल देने वाला एवं मोक्ष प्रदाता है।  आमलकी एकादशी व्रत कथा  पुराने समय के वैदिश नाम के नगर में ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तथा शुद्र वर्ण के लोग बड़े ही सुखपूर्वक निवास करते थे। वहां के लोग स्वाभाविक रूप से स्वस्थ तथा ह्वष्ट-पुष्ट थे। उस नगर में कोई भी मनुष्य, पापात्मा अथवा नास्तिक नहीं था। इस नगर में जहां तहां वैदिक कर्म का अनुष्ठान हुआ करता था। वेद ध्वनि से यह नगर गूंजता ही रहता था।  उस नगर में चंद्रवंशी राजा राज करते थे। इसी चंद्रवंशीय राजवंश में एक चैत्ररथ नाम के धर्मात्मा एवं सदाचारा राजा ने जन्म लिया। यह राजा बड़ा पराक्रमी, शूरवीर, धनवान, भाग्यवा

होलाष्टक - हिन्दू धर्म में होलाष्टक का महत्व

हिन्दू धर्म में होलाष्टक फाल्गुन अष्टमी को शुरू हो के फाल्गुन पूर्णिमा को समाप्त होता है। होलाष्टक का महत्व शिवा और तांत्रिक पूजा से जुड़ा हे।  होलाष्टक की अवधी में समस्त मांगलिक कार्य निषेध बताऐ गए हैं। शास्त्रों में होलिका दहन के महत्वपूर्ण दिन को दारुण रात्रि कहा गया है। दारुण रात्रि की तुलना महारात्रि अर्थात महाशिवरात्रि, मोहरात्रि अर्थात कृष्णजन्माष्टमी, महानिशा अर्थात दिवाली से की जा सकती है। होलाष्टक का कथा  पौराणिक कथा के अनुसार कामदेव द्वारा भगवान शंकर की तपस्या भंग करने पर महादेव ने फाल्गुन अष्टमी पर ही उन्हें भस्म कर दिया था।  तब रति देवी ने कामदेव के पुर्नजीवन हेतु कठिन तप किया फलस्वरुप शिव जी ने इसी पूर्णिमा पर कामदेव को नया जीवन दिया तब सम्पूर्ण सृष्टि में आनन्द मनाया गया। ज्योतिषशास्त्र में होलाष्टक  ज्योतिषशास्त्र के अनुसार होलिकाष्टक का काल होली से पहले अष्टमी तिथि से प्रारंभ होता है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से होली समस्त काम्य अनुष्ठानों हेतु श्रेष्ठ है। अष्टमी तिथि को चंद्र, नवमी तिथि को सूर्य, दशमी तिथि को शनि, एकादशी तिथि को शुक्र, द्वादशी तिथि को गु

घर में आईने का स्थान - वास्तु के हिसाब से आईने का स्थान

क्या   आपने   अपने   शयन   कक्ष   में   आईने   के   स्थान   पर   ध्यान   दिया   है ? घर में आईने का स्थान का महत्तव और वास्तु के हिसाब से आईने का स्थान क्या है ?  पलंग   के   बगल   में   आईने   के   संबंध   में   भ्रम   पलंग   के   बगल   में   ड्रैसिंग   टेबल   रखने   तथा   शयनकक्ष   में   आईनों   को   लगाने   के   उपयुक्त   स्थान   को   लेकर   कई   तरह   के   भ्रम   प्रचलित   हैं।   इन   भ्रांतियों   को   महा   वास्तु   के   दृष्टिकोण   से   दूर   किया   जा   सकता   है।   बैडरूम   में   किसी   भी   चीज   जैसे   कि   आईने ,   ड्रैसिंग   टेबल   आदि   को   रखने   का   सही   स्थान   घर   के   विभिन्न   हिस्सों   के   संतुलन   के   आकलन   के   बाद   ही   तय   किया   जा   सकता   है।   शयनकक्ष में मौजूद आईना वहां सोने वाले लोगों के अवचेतन मस्तिष्क को प्रभावित करता है। किसी कमरे में आईने का स्थान तथा ऊर्जा का संतुलन वहां रहने वाले लोगों के जीवन पर सकारात्मक या नकारात्मक असर डाल सकता है। शयनकक्ष में भी ऐसा ही होता है